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श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी

सप्ताह भर चलने वाले सात दिवसीय व्रत

प्रतिदिन एक विशेष देवता की पूजा, व्रत विधि और संबंधित मंत्र शामिल हैं। यह व्रत भक्तों को सात दिनों तक भक्ति, संयम और आत्मशुद्धि का अनुभव कराता है।

भारत की आध्यात्मिक परंपरा में व्रत का विशेष स्थान है। व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि एक आत्मिक साधना हैजिसमें शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध किया जाता है। यह सात दिवसीय व्रत प्रत्येक दिन एक विशिष्ट देवता को समर्पित होता है। यह व्रत व्यक्ति की जीवनशैली को सात्विक बनाकर उसमें शांति, समृद्धि और शक्ति का संचार करता है।

सप्ताह की योजनाहर दिन एक देवता

दिन

देवता

व्रत का नाम

लाभ

मुख्य मंत्र

सोमवार

भगवान शिव

सोमवार व्रत

मानसिक शांति और परिवारिक सुख

नमः शिवाय

मंगलवार

हनुमान जी

मंगल व्रत

बल, बुद्धि और भय से मुक्ति

हं हनुमते नमः

बुधवार

श्रीकृष्ण/गणेश

बुध व्रत

वाणी सुधार, बुद्धि और व्यापार में सफलता

श्री गणेशाय नमः

गुरुवार

विष्णु/बृहस्पति

गुरु व्रत

ज्ञान, संतान सुख, विवाह में सफलता

बृस्पतये नमः

शुक्रवार

माता लक्ष्मी

लक्ष्मी व्रत

धन, वैभव और सौभाग्य

श्रीं ह्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः

शनिवार

शनि देव

शनि व्रत

बाधाओं से मुक्ति, कर्म सुधार

शं शनैश्चराय नमः

रविवार

सूर्य देव

सूर्य व्रत

स्वास्थ्य, आत्मबल और तेज

सूर्याय नमः

सोमवारभगवान शिव व्रत

पूजन विधि:

प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।

शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा, शुद्ध दूध चढ़ाएं।

व्रत कथा पढ़ें: चंद्रमा और शिव की कथा।

लाभ:

मानसिक शांति

पारिवारिक समृद्धि

वैवाहिक जीवन में सुख

मंत्र:

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

 

मंगलवारश्री हनुमान जी व्रत

विधि:

लाल वस्त्र पहनें।

गुड़-चना का भोग अर्पित करें।

सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें।

लाभ:

शारीरिक शक्ति, भय नाश, शत्रु पर विजय

मंत्र:

हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
श्रीरामदूताय नमः।

 

बुधवारभगवान श्रीकृष्ण या गणेश जी व्रत

पूजा विधि:

हरे वस्त्र पहनें।

तुलसी पत्र और मोदक का भोग चढ़ाएं।

श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का पाठ करें।

लाभ:

वाणी की मधुरता, व्यवसाय में सफलता

मंत्र:

श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानाय स्वाहा।

 

गुरुवारविष्णु भगवान व्रत

विधि:

पीले वस्त्र पहनें।

चने की दाल और गुड़ का भोग लगाएं।

विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

लाभ:

संतान सुख, विवाह में रुकावटों का निवारण

मंत्र:

नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

शुक्रवारलक्ष्मी माता व्रत

विधि:

सफेद वस्त्र पहनें।

खीर, बताशे और कमल का फूल अर्पित करें।

श्रीसूक्त का पाठ करें।

लाभ:

धन, वैभव और सुख-समृद्धि

मंत्र:

श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः॥

शनिवारशनि देव व्रत

विधि:

काले वस्त्र पहनें।

तिल का तेल, उड़द दाल, काले तिल का दान करें।

शनि चालीसा और दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें।

लाभ:

शनि दोष से मुक्ति, जीवन की बाधाओं का अंत

मंत्र:

निलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥

 

रविवारसूर्य देव व्रत

विधि:

तांबे के पात्र में जल, लाल फूल और गुड़ मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।

आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें।

लाभ:

उत्तम स्वास्थ्य, आत्मविश्वास, तेजस्विता

मंत्र:

घृणिः सूर्याय नमः।

व्रत के सामान्य नियम (सप्ताह भर)

सूर्योदय से पूर्व स्नान करना।

दिनभर फलाहार या केवल एक समय भोजन।

तामसिक भोजन वर्जित।

किसी पर क्रोध करें, निंदा करें।

दिन में कम से कम एक माला मंत्र जाप।

रात्रि में भजन, कीर्तन, पूजा।

सप्ताह अंत में किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन या वस्त्र दान।

 

व्रत कथा संक्षेप में

हर दिन की एक धार्मिक कथा होती है, जैसे सोमवार को चंद्रमा और शिव की कथा, शनिवार को राजा दशरथ और शनि देव की कथा, गुरुवार को सती सावित्री और व्रत की शक्ति की कथा आदि। ये कथाएँ श्रद्धा को गहराई देती हैं और व्यक्ति को अपने कर्तव्यों के प्रति सजग बनाती हैं।

 

व्रत के चमत्कारी लाभ

शरीर शुद्ध होता है।

मन एकाग्र होता है।

आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।

परिवार में सुख-शांति आती है।

कार्यों में सफलता मिलने लगती है।

स्वास्थ्य उत्तम होता है।

 

यह सप्त दिवसीय देव व्रत केवल हमारे जीवन को अनुशासित करता है, बल्कि हर दिन एक नए देवता से जुड़कर हमारे भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा का जागरण करता है। जो भी व्यक्ति श्रद्धा, संयम और नियम के साथ इस व्रत को करता है, उसके जीवन में निश्चित रूप से शुभ परिवर्तन होते हैं।

 

ईश्वर को प्राप्त करने का सबसे सरल माध्यम है - भक्ति।